[गौतम सुमन की तस्वीर ] रिपोर्ट-रंजीत रमण
"कहा अपनी अर्मण्यता और अंगिका भाषा के अल्पज्ञान व अपनी कुत्सित मानसिकता का ठीकरा फोड़ रहे सरकार के माथे,जो कदाचित उचित नहीं "
भागलपुर: अंग क्षेत्र और अंगिका भाषा के लिए लगातार संघर्ष कर सदैव इस कार्य में समर्पित अंग उत्थानान्दोलन समिति,बिहार-झारखंड के केन्द्रीय अध्यक्ष गौतम सुमन ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बिहार अंगिका अकादमी के अध्यक्ष प्रो. लखन लाल आरोही द्वारा दिये गए उस बयान की कड़ी निन्दा की है कि सरकार की उदाशीनता के कारण अब तक अंगिका अकादमी का काम-काज ठप्प है ।उन्होंने कहा कि दरअसल अंगिका भाषा के इतिहास-भुगोल के अल्पज्ञानी,अपनी कुत्सित मानसिकता और अपनी अकर्मण्यता के कारण श्री आरोही अंगिका अकादमी गठन होने से लेकर अब अध्यक्ष पद की अवधि समाप्त होने के कगार पर आकर भी अंग-अंगिका के विकास के लिये एक इंच भी कार्य नहीं कर पाये हैं ।उन्होंने कहा कि अंगिका अकादमी गठन के वक्त ही मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने अंगिका भाषा के विकास के लिए तत्काल 5 लाख राशि का आवंटन किया था पर उनके द्वारा ही मनोनीत अध्यक्ष श्री आरोही की अर्कमण्यता के बदौलत वित्तीय वर्ष के समापन के वाद वह राशि वापस हो गई ।उन्होंने कहा कि उनकी समिति के संघर्ष और अंगिका भाषियों के निरंतर पुकार पर उदारता दिखाते हुए जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार जी ने विगत 2015 में ही न केवल अंगिका अकादमी गठन की घोषणा की बल्कि कैबिनेट में अपनी घोषणा को क्रियान्वयन कर अंगिका भाषा के विकास के लिए 5 लाख राशि भी दी,तब अंगिका भाषियों और अंगवासियों में उनके प्रति और अधिक आस्था बढ़ गईं थी और यहाँ खुशी की लहर दौर पड़ी थी ।अचानक मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के द्वारा अपनी जाति और पार्टी के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर लखन लाल आरोही को अंगिका अकादमी का अध्यक्ष बनाने पर अंगिका भाषियों की खुशी मुरझा गई,क्योंकि श्री आरोही अंगिकाभाषी होने के बाद भी कभी अंगिका के उत्थान के लिए समर्पित नहीं रहे और न ही कभी इसके लिए कोई प्रयास किये ।परिणाम स्वरूप चाटुकारिता और मुख्यमंत्री के कृपा पर पाये इस पद की गरीमा और कार्य क्षमता तक को भूलकर अकादमी अध्यक्ष पद के तीन साल की अवधि समापन के मोड़ पर आकर भी इस समय को मुफ्त में बर्बाद कर दिये ।अंगिका भाषा के प्रति अपनी दुर्भावना और कुत्सित नियत को सफल कर इन तीन साल की अवधि में न तो ये अंगिका अकादमी के लिये कार्यालय खोल पाये और न ही इसके कार्य विस्तार के लिए कार्यकारिणी कमिटि का गठन कर पाये ।हाँ इन्होंने एक लाभ अवश्य लिया कि तीन साल की अवधि का अध्यक्ष का वेतन 50 हजार के हिसाब से कुल18 लाख सहित बिना कोई काम के डीए-टीए लेकर सरकारी राजस्व को चूना लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ।उन्होंने कहा कि अब जब अकादमी अध्यक्ष की तीन साल की अवधि समाप्त हो रही है तब मुफ्त में सरकारी मलाई खाने वाले श्री आरोही को अपने काम-काज की वजह से अपने अध्यक्ष की कुर्सी खतरे में जाता दिख रहा है ।इसलिए अब उन्हें अपनी कार्य क्षमता यानि अंगिका का विकास दिख रहा है ।उन्होंने कहा कि जिस सरकार के आशीर्वाद से श्री आरोही अध्यक्ष पद पर सुशोभित होकर तीन साल तक सरकारी मलाई खाते रहे आज अपनी अकर्मण्यता और अंगिका भाषा के प्रति अपने अल्पज्ञान व कुत्सित मानसिकता का ठीकरा सरकार के माथे फोड़कर उन्हें नाहक बदनाम कर रहे हैं ।उन्होंने श्री आरोही को भस्मासूर की संज्ञा देते हुए कहा कि अध्यक्ष पद की अवधि के अंत में अंगिका के प्रति श्री आरोही की चिंता महज दिखावा और नौटंकी है ।दरअसल श्री आरोही पुनः अध्यक्ष पद पर आसीन होने हेतु इस दिखावे और नौटंकी का स्वांग रच रहे हैं ।
उन्होंने मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से आग्रह किया कि अब समय आ गया है कि अंगिका अकादमी के अध्यक्ष को सरकार त्वरित प्रभाव से बर्खास्त करने की कृपा करें और एक ऐसे योग्य-प्रबुद्ध एवं समृद्ध व्यक्ति को अंगिका अकादमी का अध्यक्ष बनाएँ जिससे कि मुख्यमंत्री मंत्री का सपना अंगिका का विकास और आठवीं अनुसूचि में जगह मिल सके और बिहार-झारखंड की एक बड़ी आबादी अंगिका भाषियों को अपने गौरव का भान हो सके ।
- गौतम सुमन (केन्द्रीय अध्यक्ष)
अंग उत्थानान्दोलन समिति,बिहार-झारखंड ।
"कहा अपनी अर्मण्यता और अंगिका भाषा के अल्पज्ञान व अपनी कुत्सित मानसिकता का ठीकरा फोड़ रहे सरकार के माथे,जो कदाचित उचित नहीं "
भागलपुर: अंग क्षेत्र और अंगिका भाषा के लिए लगातार संघर्ष कर सदैव इस कार्य में समर्पित अंग उत्थानान्दोलन समिति,बिहार-झारखंड के केन्द्रीय अध्यक्ष गौतम सुमन ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बिहार अंगिका अकादमी के अध्यक्ष प्रो. लखन लाल आरोही द्वारा दिये गए उस बयान की कड़ी निन्दा की है कि सरकार की उदाशीनता के कारण अब तक अंगिका अकादमी का काम-काज ठप्प है ।उन्होंने कहा कि दरअसल अंगिका भाषा के इतिहास-भुगोल के अल्पज्ञानी,अपनी कुत्सित मानसिकता और अपनी अकर्मण्यता के कारण श्री आरोही अंगिका अकादमी गठन होने से लेकर अब अध्यक्ष पद की अवधि समाप्त होने के कगार पर आकर भी अंग-अंगिका के विकास के लिये एक इंच भी कार्य नहीं कर पाये हैं ।उन्होंने कहा कि अंगिका अकादमी गठन के वक्त ही मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने अंगिका भाषा के विकास के लिए तत्काल 5 लाख राशि का आवंटन किया था पर उनके द्वारा ही मनोनीत अध्यक्ष श्री आरोही की अर्कमण्यता के बदौलत वित्तीय वर्ष के समापन के वाद वह राशि वापस हो गई ।उन्होंने कहा कि उनकी समिति के संघर्ष और अंगिका भाषियों के निरंतर पुकार पर उदारता दिखाते हुए जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार जी ने विगत 2015 में ही न केवल अंगिका अकादमी गठन की घोषणा की बल्कि कैबिनेट में अपनी घोषणा को क्रियान्वयन कर अंगिका भाषा के विकास के लिए 5 लाख राशि भी दी,तब अंगिका भाषियों और अंगवासियों में उनके प्रति और अधिक आस्था बढ़ गईं थी और यहाँ खुशी की लहर दौर पड़ी थी ।अचानक मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के द्वारा अपनी जाति और पार्टी के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर लखन लाल आरोही को अंगिका अकादमी का अध्यक्ष बनाने पर अंगिका भाषियों की खुशी मुरझा गई,क्योंकि श्री आरोही अंगिकाभाषी होने के बाद भी कभी अंगिका के उत्थान के लिए समर्पित नहीं रहे और न ही कभी इसके लिए कोई प्रयास किये ।परिणाम स्वरूप चाटुकारिता और मुख्यमंत्री के कृपा पर पाये इस पद की गरीमा और कार्य क्षमता तक को भूलकर अकादमी अध्यक्ष पद के तीन साल की अवधि समापन के मोड़ पर आकर भी इस समय को मुफ्त में बर्बाद कर दिये ।अंगिका भाषा के प्रति अपनी दुर्भावना और कुत्सित नियत को सफल कर इन तीन साल की अवधि में न तो ये अंगिका अकादमी के लिये कार्यालय खोल पाये और न ही इसके कार्य विस्तार के लिए कार्यकारिणी कमिटि का गठन कर पाये ।हाँ इन्होंने एक लाभ अवश्य लिया कि तीन साल की अवधि का अध्यक्ष का वेतन 50 हजार के हिसाब से कुल18 लाख सहित बिना कोई काम के डीए-टीए लेकर सरकारी राजस्व को चूना लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ।उन्होंने कहा कि अब जब अकादमी अध्यक्ष की तीन साल की अवधि समाप्त हो रही है तब मुफ्त में सरकारी मलाई खाने वाले श्री आरोही को अपने काम-काज की वजह से अपने अध्यक्ष की कुर्सी खतरे में जाता दिख रहा है ।इसलिए अब उन्हें अपनी कार्य क्षमता यानि अंगिका का विकास दिख रहा है ।उन्होंने कहा कि जिस सरकार के आशीर्वाद से श्री आरोही अध्यक्ष पद पर सुशोभित होकर तीन साल तक सरकारी मलाई खाते रहे आज अपनी अकर्मण्यता और अंगिका भाषा के प्रति अपने अल्पज्ञान व कुत्सित मानसिकता का ठीकरा सरकार के माथे फोड़कर उन्हें नाहक बदनाम कर रहे हैं ।उन्होंने श्री आरोही को भस्मासूर की संज्ञा देते हुए कहा कि अध्यक्ष पद की अवधि के अंत में अंगिका के प्रति श्री आरोही की चिंता महज दिखावा और नौटंकी है ।दरअसल श्री आरोही पुनः अध्यक्ष पद पर आसीन होने हेतु इस दिखावे और नौटंकी का स्वांग रच रहे हैं ।
उन्होंने मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से आग्रह किया कि अब समय आ गया है कि अंगिका अकादमी के अध्यक्ष को सरकार त्वरित प्रभाव से बर्खास्त करने की कृपा करें और एक ऐसे योग्य-प्रबुद्ध एवं समृद्ध व्यक्ति को अंगिका अकादमी का अध्यक्ष बनाएँ जिससे कि मुख्यमंत्री मंत्री का सपना अंगिका का विकास और आठवीं अनुसूचि में जगह मिल सके और बिहार-झारखंड की एक बड़ी आबादी अंगिका भाषियों को अपने गौरव का भान हो सके ।
- गौतम सुमन (केन्द्रीय अध्यक्ष)
अंग उत्थानान्दोलन समिति,बिहार-झारखंड ।
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