रिपोर्ट-रंजीत रमण
भागलपुर:"सुशासन और कानूनराज की खुल रही है पोल"
कहा-सबके सब हैं बिके हुए,तभी तो हैं टिके हुए ।
बिहार में शराब बंदी को लेकर मुख्यमंत्री के द्वारा फायदे वाली बयान लोगों को हजम नहीं हो रही है ।जिस तरह बिहार में सुशासन और कानूनराज की बातें हास्यास्पद लगती है ठीक उसी तरह नशा मुक्ति दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के द्वारा एक सर्वे के आधार पर शराब बंदी के फायदे वाली बयान लोगों को हजम नहीं हो रही है ।
उक्त बातें आज अंग उत्थानान्दोलन समिति,बिहार-झारखंड के केन्द्रीय अध्यक्ष गौतम सुमन ने प्रेस बयान जारी कर कही ।उन्होंने कहा कि एक तरफ बिहार में नित दिन हो रही हत्या-लूट,गैंगरेप ऐसे अपराधियों का तांडव और सृजन घोटाले का विसर्जन सुशासन और कानूनराज का पोल खोल रही है ।उन्होंने कहा कि शराब बंदी की घोषणा के वक्त मुख्यमंत्री श्री कुमार ने कहा था कि बिहार में अब यदि शराब की बिक्री होगी तो वे राजनीति से सन्यास लेकर अपनी जान दे दैंगे । श्री सुमन ने सवाल किया कि यदि शराब की बिक्री बन्द है तो हर रोज शराब कहाँ से और कैसे पकड़े जा रहे हैं ? उन्होंने इसे मुख्यमंत्री के कथनी और करनी में बड़ा फर्क बताया और सबके सब हैं बिके हुए,तभी तो हैं ये टिके हुए ।
उन्होंने नशा मुक्ति दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री श्री कुमार के द्वारा दिये गए बयान कि 'शराब बंदी से पूर्व लोग भोजन पर 1005 रूपये खर्च करते थे और अब 1331 रूपये खर्च कर रहे हैं' कि कड़ी निंदा करते हुए कहा कि इस तरह के बयान किसी सर्वे के आधार पर एक मुख्यमंत्री के मूख से सुनकर हजम नहीं हो रही है ।
उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा इस शराब बंदी अभियान व घोषणा की प्रशंसा करते हुए कहा कि सामाजिक सुरक्षा और जीवन स्तर को सुधारने की दिशा में यह निश्चित ही महत्वपूर्ण कदम है,बावजूद इसके थाली पर बढ़े खर्च उनकी बढ़ी हुई आय को दर्शाता है यह मानना गलत है ।
उन्होंने एक तरफ साग-सब्जी,प्याज-टमाटर एवं अनाज के भाव आसमान छूने और दूसरी तरफ जीएसटी के कारण खाधान्नों की कीमत में उछाल का हवाला देते हुए कहा कि 1005 रूपये में थाली पर भोजन की जितनी मात्रा नजर आती थी,अब 1331 रूपये में उससे भी कम नजर आ रही है ।लोगों को भोजन पर ज्यादा खर्च करने को मजबूर किया गया है ।भोजन के भाव में वृद्धि और पापी पेट के सवाल को लेकर भी आज अपराध और भ्रष्टाचार का ग्राफ नित दिन बढ़ती जा रही है जो राष्ट्र हित में नहीं है ।
भागलपुर:"सुशासन और कानूनराज की खुल रही है पोल"
कहा-सबके सब हैं बिके हुए,तभी तो हैं टिके हुए ।
बिहार में शराब बंदी को लेकर मुख्यमंत्री के द्वारा फायदे वाली बयान लोगों को हजम नहीं हो रही है ।जिस तरह बिहार में सुशासन और कानूनराज की बातें हास्यास्पद लगती है ठीक उसी तरह नशा मुक्ति दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के द्वारा एक सर्वे के आधार पर शराब बंदी के फायदे वाली बयान लोगों को हजम नहीं हो रही है ।
उक्त बातें आज अंग उत्थानान्दोलन समिति,बिहार-झारखंड के केन्द्रीय अध्यक्ष गौतम सुमन ने प्रेस बयान जारी कर कही ।उन्होंने कहा कि एक तरफ बिहार में नित दिन हो रही हत्या-लूट,गैंगरेप ऐसे अपराधियों का तांडव और सृजन घोटाले का विसर्जन सुशासन और कानूनराज का पोल खोल रही है ।उन्होंने कहा कि शराब बंदी की घोषणा के वक्त मुख्यमंत्री श्री कुमार ने कहा था कि बिहार में अब यदि शराब की बिक्री होगी तो वे राजनीति से सन्यास लेकर अपनी जान दे दैंगे । श्री सुमन ने सवाल किया कि यदि शराब की बिक्री बन्द है तो हर रोज शराब कहाँ से और कैसे पकड़े जा रहे हैं ? उन्होंने इसे मुख्यमंत्री के कथनी और करनी में बड़ा फर्क बताया और सबके सब हैं बिके हुए,तभी तो हैं ये टिके हुए ।
उन्होंने नशा मुक्ति दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री श्री कुमार के द्वारा दिये गए बयान कि 'शराब बंदी से पूर्व लोग भोजन पर 1005 रूपये खर्च करते थे और अब 1331 रूपये खर्च कर रहे हैं' कि कड़ी निंदा करते हुए कहा कि इस तरह के बयान किसी सर्वे के आधार पर एक मुख्यमंत्री के मूख से सुनकर हजम नहीं हो रही है ।
उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा इस शराब बंदी अभियान व घोषणा की प्रशंसा करते हुए कहा कि सामाजिक सुरक्षा और जीवन स्तर को सुधारने की दिशा में यह निश्चित ही महत्वपूर्ण कदम है,बावजूद इसके थाली पर बढ़े खर्च उनकी बढ़ी हुई आय को दर्शाता है यह मानना गलत है ।
उन्होंने एक तरफ साग-सब्जी,प्याज-टमाटर एवं अनाज के भाव आसमान छूने और दूसरी तरफ जीएसटी के कारण खाधान्नों की कीमत में उछाल का हवाला देते हुए कहा कि 1005 रूपये में थाली पर भोजन की जितनी मात्रा नजर आती थी,अब 1331 रूपये में उससे भी कम नजर आ रही है ।लोगों को भोजन पर ज्यादा खर्च करने को मजबूर किया गया है ।भोजन के भाव में वृद्धि और पापी पेट के सवाल को लेकर भी आज अपराध और भ्रष्टाचार का ग्राफ नित दिन बढ़ती जा रही है जो राष्ट्र हित में नहीं है ।
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