रिपोर्ट-रंजीत रमण
भागलपुर : साहित्यकारों का व्यक्तित्व काफी संघर्षशील एवं त्यागपूर्ण होता है ।संघर्ष के रास्ते पर चलकर ही साहित्यकार समाज को नई रोशनी और दिशा दे पाते हैं ।
उक्त बातें अंग उत्थानान्दोलन समिति,बिहार-झारखंड के केन्द्रीय अध्यक्ष गौतम सुमन ने कही ।वे स्थानीय शिक्षण प्रशिक्षण केन्द्र घंटाघर परिसर में आयोजित कवि जयनारायण बेचारा की आठवीं पुण्यतिथि के मौके पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि प्रकट करते हुए अपने उदगार व्यक्त कल रहे थे ।उन्होंने कवि जयनारायण बेचारा को अंगिका संवाद का पीड़ बताते हुए कहा कि वे अर्थाभाव एवं पारिवारिक कष्टों से पीड़ित होने के बावजूद सामाजिक और अंगिका युवा संवाद क्रांति के आजन्म पक्षधर रहे ।उन्होंने कहा कि घनी विषम परिस्थितियों में भी अंगिका भाषा व साहित्य के प्रति श्री बेचारा के समर्पण भाव को वे आज भी अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं ।
अंगिका समाज के प्रांतीय सचिव विजय कुमार सिंह के संचालन और समिति अध्यक्ष गौतम सुमन की अध्यक्षता में आयोजित इस पुण्यतिथि सह श्रद्धांजलि सभा में भागलपुर एवं आस-पास के कई लोगों ने उपस्थित होकर कवि बेचारा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा की ।इस मौके पर उपस्थित साहित्यकारों ने कहा कि आठ वर्ष बाद भी श्री बेचारा के हंसमुख चेहरे और मिलनसार व्यक्तित्व को भूल नहीं पाये हैं ।लोगों ने कहा कि आज भी उनका व्यक्तित्व अमर है और सदैव अमर ही रहेगा ।दुनिया भर के पीड़ा से पीड़ित श्री बेचारा ने कभी अपने चेहरे व कपड़ों को मलिन होने नहीं दिया ।लोगों ने कहा कि अंगिका भाषा के समुचित सम्मान व अधिकार के लिए चिंतन करते हुए वे ताउम्र साहित्य सृजन में समर्पित रहे ।ऐसे लोग सचमुच पीड़ के समान पूज्य हैं ।
समिति द्वारा आयोजित इस आठवीं पुण्यतिथि के मौके पर श्रद्धांजलि देने वालों में शेषावतार बाबा मनभौजी कर्णअंगपुरी,साहित्यकार डॉ.अमरेन्द्र,कथाकार रंजन,बाबा दिनेश तपन,शिव कुमार शिव,डॉ.जयन्त जलद,रामावातार राही,धीरज पंडित,अभय भारती,महेंद्र मयंक,प्रेमचन्द पांडेय,रामप्रकाश स्नेहिल,डॉ.भूपेन्द्र मंडल,विष्णु मंडल विकल,नरेश जनप्रिय,विकास गुलटी,पतझर खैरावादी,जगदीश यादव,प्रो.दिलीप झा,महेश कुमार,सुजाता कुमारी,नीरापाल,रेणु ठाकुर,कलाम मंसूरी,जावेद अख्तर भागलपुरी, नकूल निराला,सुनील सिंह,राघवेन्द्र सहाय,बुलबुल चौधरी,हिमांशु राधेकृष्णा,ब्रजभूषण शर्मा गगन,संदीप शर्मा आदि उपस्थित थे ।
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