समाज निर्माण फाउंडेशन से समाज की शोभा बढ़ती है और समाज से फाउंडेशन की शोभा बढ़ती है:-हरिनारायण हरिबन्धु - राष्ट्रीय निर्माण खबर

Post Top Ad

Responsive Ads Here
समाज निर्माण फाउंडेशन से समाज की शोभा बढ़ती है और समाज से फाउंडेशन की शोभा बढ़ती है:-हरिनारायण हरिबन्धु

समाज निर्माण फाउंडेशन से समाज की शोभा बढ़ती है और समाज से फाउंडेशन की शोभा बढ़ती है:-हरिनारायण हरिबन्धु

Share This
                    लेखक:-हरिनारायण हरिबन्धु


सत्यम ब्रूयात प्रियम ब्रूयात न ब्रूयात सत्यम अप्रियम।।

सत्य की कसौटी पर जिस सदन की नींव पर चूका है,उस सदन की अंततः भाग में असत्य की परिसीमा लांघने बाली बातें नही होनी चाहिए।जन-जन के जेहन से समता भाव का जयकार अहनिर्श होना चाहिए।आन्द्रभाषा के ट्रू शब्द से ट्रस्ट शब्द निष्पादित हुआ है।जो समाजिक कल्याण के लिए उत्तरदायी होता है।मानव के जीबन में कर्मण्यता का विकास करने के लिए,उसके उद्धार के लिए,उसके नव निर्माण के लिए,उसके चहुमुखी विकाश के लिये,सर्वा गीन उद्दात चेतना को प्र स्फुटित करने हेतु,सन्मार्ग पर चलने हेतू जो कार्य सम्पादित किया जाता है।उसे "समाज निर्माण फाउंडेशन "के नाम से जाना जाता है।
                      रंजीत  रमण
                        चेयरमेन
                    समाज निर्माण फाउंडेशन

वस्तुतः सम्यक समाज का निर्माण सही मायने में तभी कारगर
साबित हो सकता है।जहां वृध्दों की सेवा के लिए वृद्दालय हो,जहाँ विकलांगो(दिव्यंगो)की सेवा के लिए दिव्यांग सेवाश्रम हो जंहा निःसहाय बिधबा नारियों के लिए प्रोत्साहन राशि की व्यबस्था हो,जहाँ गरीब अशिक्षित बच्चों के लिए शिक्षा सम्बन्धी भोजन और वस्त्र की व्यबस्था की गई हो,जहाँ दलितो ,पीड़ितों,और कुत्सितो के दामन में महत्व पूर्ण ज्ञान का बीजारोपण किया जा सके,जहाँ ज्ञान की तीखी किरण पैदा करने के लिए विश्व के महान शिक्षा विदो लेखकों साहित्यकारों की रचनाये अलमारी के अंदर सुसज्जित रूप में रखा गया हो यह वह सदन है,जिसमे नवयुवको का चारित्रिक निर्माण का विकाश होता है।संस्कृत के किसी नीतिकार ने ठीक ही कहा है की

"मणिना बलियम बलियेन् मणि "
"मणिना बलियम विभाति करः"

अर्थार्थ मणि से बाली की शोभा होती है,बाली से मणि की शोभा होती है,और जब दोनों की शोभा एक साथ मिलती है,तो हाथ की शोभा निखर जाती है।ठीक उसी प्रकार "समाज निर्माण फाउंडेशन"से समाज की शोभा बढ़ती है।और समाज से इस संस्थान की शोभा बढ़ती है।और दोनों की शोभा मिलने से हमारे देश की शोभा बढ़ती है।
                            कंचन भारती
                               सचिव
                         समाज निर्माण फाउंडेशन

किसी पाषाण की मूरत को तरास कर जब कोई शिल्प कार कला मर्मज्ञ उसे अपनी कला का मूरत में प्राण फूंक देता है तो वह मोनालिशा की बराबरी में खड़ी उतरती है।मैं अपने अल्फाज के माध्यम से इस "समाज निर्माण फाउंडेशन "के चेयरमेन "रंजीत रमण और सचिव महोदया "कंचन भारती"जी से कहना चाहूँगा।की आप भी "लियो नार्दो द विन्ची"की तरह अपना नाम रौशन कर दे,ताकि लोग इस बात को अच्छी तरह से यह जान सके की इस"समाज निर्माण फाउंडेशन"के निर्माता श्री रंजीत रमण एवँ श्री मति कंचन भारती जी और ई0 राजीव कुमार सिंह जी,पिता श्री कैलाश प्रसाद सिंह जी,पिता श्री शुशील कुमार शुशील जी,मनीषा श्री जी और सभी ट्रस्टी महोदय जी।
सुना है समन्दर में बाढ़ नही आता किन्तु कभी कभी ऐसा भी देखा गया है कि जब समन्दर में तूफां आता है तो ,प्रकृति में अपना रुख कुछ तब्दील करके दिखा देता है,कहने का तातपर्य ये है की मानव को सुमार्ग दर्शन के लिए जिस मनुष्य का इस पृथ्वी पर पदार्पण हुआ है।वह अबश्य ही अपना पदचिन्ह छोड़कर चले जाते है।किसी कवि ने ठीक ही कहा है कि:-
"पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले ,पुस्तको में है नही छापी गई इसकी कहानी,हाल इसका ज्ञात होता है न ओरों की जबानी"
अर्थात मानव को जीबन के पथ पर चलने से पहले अपने जीबन रूपी बाट की पहचान कर लेंना चाहिए।अगर कोई मनुज अपना पद चिन्ह इस बसुंधरा पर छोड़ना चाहते है तो।उसे इस जीबन में बहुत कुछ करना होगा ।समन्दर की छाती को चीरता हुआ जब कोई भारी जहाज आगे की ओर बढ़ता है।तो ऐसा प्रतीत होता है कि कोई बिशाल तीर पुंज किसी शत्रु का वक्षस्थल विदिर्न करने के लिए तिब्र बेग से अग्रशर होता जा रहा है।ठीक उसी तरह जब कोई कर्मण्य शील मानब इस समाज की भीड़ से निकल कर बिशेष कार्य करने के लिए आतुर हो जाता है तो समाज की भीड़ में उसकी पहचान बन जाती है।जब कोई मदमाता हुआ हाथी किसी तलाब में प्रबेश करता है।तो उसके खिले अनेकों कमल के फूलो को रौंद डालता है।और जब कोई समाज का कर्मठ नोजबां अपने कन्धे पर समाजो उत्थान और उसके नव निर्माण का भारी बीड़ा उठाता है।तो वह आततायो ,कुकर्मियों,और शोषक वर्गो का सिर कुचल देता है।चुनांचे उसे मुँह तोड़ जबाब देना पड़ता है।एक "समाज निर्माण फाउंडेशन"निर्माता के लिए सावन और भादो की उफनती नदी की तरह कार्य नही करना होगा।वरन् आपको तो एक धीर,वीर,गम्भीर और पुरुष सर्षभ की तरह कार्य करना होगा।आत्म चिंतन और विवेक शीलता नुरूप कार्य को साकार रूप देना होगा।जिसके कन्धे पर महान उत्तरदायित्व का बोझ हो उनके लिए बहुत कुछ उत्थान की बातें करना अत्यल्प ही कहा जा सकता है।इन्ही शुभ विचारों की के साथ आप सभी मित्रो को "नव वर्ष 2018 की हार्दिक शुभकामनाए
        आपका
🙏हरिनारायण हरिबन्धु
 ।।नोरंगा चौथम,खगड़िया।।
।जय बिहार।।जय हिन्द।।🙏

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages